Sunday 12 August 2012

शाश्वत आणि अशाश्वत


परवा सुपर मार्केट मध्ये स्वस्तात मिळण्याऱ्या tomato चा पुरवठा एकदम गायब झाला होता. रमादान ईद मुळे असावा कदाचित. परंतु नंतर लक्षात आले कि, महागडे tomato चा साठा भरपूर आहे आणि ते किलोला ४०० रुपये या प्रमाणे मिळत आहेत. जीव एकदम घाबराघुबरा झाला. त्या एका क्षणी असे वाटले कि, आता ह्या पुढे स्वस्तातले tomato आपल्याला कधी  मिळणारच नाहीत. गडबडीने मी ते महागडे  tomato विकत घेतले. वर फोटोत दाखवलेल्या तीन  tomato ना मी १०५ रुपये दिले. आणखीन एक-दोन दिवस जर मी वाट बघितली असती तर नक्कीच स्वस्तातले tomato मला  कुठे तरी मिळाले असते. परंतु, त्या गोष्टीबद्दलाच्या माझ्या मनात उगीचच  असलेल्या अशाश्वत मुळे मला सारासार विचार करण्याची ईच्छाच नव्हती. आणि त्या अविचारातच मी ते महागडे tomato विकत घेतले. काय मज्जा आहे बघा माणसाच्या विचार करण्याच्या पद्धतीत !! जन्म आणि मरण  ह्यांच्या  फेऱ्यात अडकल्यानंतर मनुष्य "शाश्वत" अशा मरणाची फिकीर न करता, स्वस्तातले अशाश्वत  tomato आपल्याला जणू काही कधी मिळणारच नाहीत म्हणून त्यांची आजच तरतूद करून ठेवतो. आपल्या अतिंम काळाबद्दल असलेली ही "सुप्त" भावना...ही देवाने मनुष्याला दिलेला वर आहे कि शाप आहे ? माझ्या मते, हा एक शापच आहे. मरणाची जाणीव ठेवून जर प्रत्येकजण वागू लागला तर ह्या पृथ्वीचा स्वर्ग होण्यास फार काळ लागणार नाहीं.  

श्रावण मास के चलते, हम सभी श्री गणेशभक्तोंनो अभी तक आठ ज्योतिर्लिंगो का दर्शन किया । आज है नौंवा ज्योतिर्लिंग, श्री वैजनाथ.

९) वैजनाथ ज्योतिर्लिंग : - महाराष्ट्र राज्य के मराठवाडा क्षेत्र के बीड़ जिले में स्थित है धार्मिक नगर परळी वैजनाथ (परली वैद्यनाथ), और यहाँ पर स्थित है भगवान शिव का सुप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग मंदिर, जिसमें विराजते हैं भगवान् वैद्यनाथ जो की शिवपुराण के कोटिरुद्रसंहिता के २८ वें अध्याय के अंतर्गत वर्णित द्वादशज्योतिर्लिंगस्तोत्रं के अनुसार भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं. इस ज्योतिर्लिंग के स्थान के बारे में भी लोगों के बिच मतभेद है, तथा बहुत से लोग मानते हैं की यह ज्योतिर्लिंग झारखण्ड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ धाम मंदिर में स्थित है, फिर भी भक्तों का एक बड़ा वर्ग मानता है की वैजनाथ ज्योतिर्लिंग परळी में ही है. भारत के नक़्शे पर कन्याकुमारी से उज्जैन के बीच अगर एक मध्य रेखा खिंची जाय तो उस रेखा पर आपको परली गाँव दिखाई देगा, यह गाँव मेरु पर्वत अथवा नागनारायण पहाड़ की एक ढलान पर बसा है. ब्रम्हा, वेणु और सरस्वती नदियों के आसपास बसा परली एक प्राचीन गाँव है तथा यहाँ पर विद्युत् निर्माण का बहुत बड़ा थर्मल पॉवर स्टेशन है. गाँव के आसपास का क्षेत्र पुराण कालीन घटनाओं का साक्षी है अतः इस गाँव को विशेष महत्व प्राप्त हुआ है.

पौराणिक किवदंती:
देव दानवों द्वारा किये गए अमृत मंथन से चौदह रत्न निकले थे, उनमें धन्वन्तरी और अमृत दो रत्न थे. अमृत को प्राप्त करने दानव दौड़े तब श्री विष्णु ने अमृत के साथ धन्वन्तरी को एक शिवलिंग में छुपा दिया था. दानवों ने जैसे ही उस शिवलिंग को छूने की कोशिश की वैसे ही शिवलिंग में से ज्वालायें निकलने लगी, लेकिन जब उसे शिवभक्तों ने छुआ तो उसमें से अमृतधारा निकलने लगी, ऐसा माना जाता है की परली वैद्यनाथ वही शिवलिंग है, अमृत युक्त होने के कारण ही इसे वैद्यनाथ (स्वास्थ्य का देवता ) कहा जाता है.

श्री वैद्यनाथ मंदिर शिल्प:
माना जाता है की वैद्यनाथ मंदिर लगभग २००० वर्ष पुराना है, तथा इस मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा होने में १८ वर्ष लगे थे, वर्त्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की शिवभक्त महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर ने अठारहवीं सदी में करवाया था. अहिल्या देवी को यह तीर्थ स्थान बहुत प्रिय था. यह भव्य तथा सुन्दर मंदिर मेरु पर्वत की ढलान पर पत्थरों से बना है तथा गाँव की सतह से करीब अस्सी फीट की उंचाई पर है. इस मंदिर तक पहुँचने के लिए तीन दिशाएं तथा प्रवेश के तीन द्वार हैं. यह मंदिर गाँव के बाहरी इलाके में स्थित है तथा बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन से चार किलोमीटर की दुरी पर है. इस मंदिर के शिल्प के विषय में एक रोचक कहानी है, महारानी अहिल्या बाई होलकर जिन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, उन्हें इस मंदिर के निर्माण के लिए अपनी पसंद का पत्थर प्राप्त करने में बड़ी कठिनाई हो रही थी, अंततः उन्हें अपने स्वप्न में उस पत्थर की जानकारी मिली तथा उन्हें आश्चर्य हुआ की जिस पत्थर के लिए परेशान हो रही थी वह परली नगर के समीप ही स्थित त्रिशाला देवी पर्वत पर उपलब्ध है. मंदिर के चारों ओर मजबूत दीवारें हैं , मंदिर परिसर के अन्दर विशाल बरामदा तथा सभामंडप है यह सभामंडप साग की मजबूत लकड़ी से निर्मित है तथा यह बिना किसी सहारे के खड़ा है, मंदिर के बहार ऊँचा दीप स्तम्भ है तथा दीपस्तंभ से ही लगी हुई है पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की नयनाभिराम प्रतिमा. मंदिर के महाद्वार के पास एक मीनार है, जिसे प्राची या गवाक्ष कहते हैं, इनकी दिशा साधना के कारण मंदिर में चैत्र और आश्विन माह में एक विशेष दिन को सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर पड़ती हैं. मंदिर में जाने के लिए काफी चौड़ाई लिए कई सारी मजबूत सीढियाँ हैं जिन्हें घाट कहते हैं. मंदिर परिसर में ही अन्य ग्यारह ज्योतिर्लिंगों के सुन्दर मंदिर भी स्थित हैं. मंदिर में प्रवेश पूर्व की ओर से तथा निकास उत्तर की ओर से है. यह एकमात्र स्थान है जहाँ नारद जी का मंदिर भी है. ज्योतिर्लिंग मंदिर के पहले ही शनिदेव तथा आदि शंकराचार्य के मंदिर भी हैं. ।। ॐ नमः शिवाय ।।

No comments:

Post a Comment